Adobe premier pro
यहाँ में अपना अनुभव बताना चाहूंगा । फ़िल्म "चटनी" को edit किया । सबसे पहले फ़ाइल ( फ़िल्म ) को Import किया, और फिर उसे Drag किया और edit pannel पर लाकर छोड़ दिया । उसके बाद razzor tool के सहारे उसका पहला हिस्सा cut किया और वह कही और जोड़ दिया । फिर सारे credits को delete किया और खुद का Title Design किया और वहाँ उसे जोड़ दिया ।
उसके बाद funny clip बनाने की कोशिश की, जैसे कि meme होते ठीक वैसे । उसके बाद Travel shoot किया जैसे vlog होता है, ठीक वैसा । उसमे color effects डाल दिए, color के लिए सबसे best option है " Three - way - color " यहाँ से video को काफ़ी हद तक बढ़िया से बढ़िया effect दे सकते है । अगर editing pannel पर " Three - way - color " का या किसी और Transition, effects pannel नही देखता है, तो ऊपर effects control पर क्लिक करने पर अंदर का Interface देख सकते है, edit कर सकते है।
अब बात करते है Story Board के बारे मे ।
Story Board
Film making में यह महत्वपूर्ण हिस्सा है , यह हमारा समय भी बचाता है और साथ ही साथ अगर Director कभी set पर ना होतो तो, DOP ( Cinematographer ) Story Board देखकर आगे का शूटिंग continue कर सकता है । Story Board 'Director' अपने नज़रियेसे बनाता है । script को देखकर वह फ़िल्म को देखता है, और अपने हिसाब Camera Angle - Scene Design कर लेता है । और उसका sketch बनवाता है ।
Example के लिए फ़िल्म Wednesday फ़िल्म को देख लेते है, जो नीरज पांडे द्वारा निर्देशित की गई है । ( https://youtu.be/Sox7KmmAEZI )
Story board बनाने से पहले सबसे पहले script लिखी जाती है, उसके आधार पर story बोर्ड बनाया जाता है । मैने फ़िल्म की 6,7 मिनट की script बनाई ।
Example के लिए फ़िल्म Wednesday फ़िल्म को देख लेते है, जो नीरज पांडे द्वारा निर्देशित की गई है । ( https://youtu.be/Sox7KmmAEZI )
Story board बनाने से पहले सबसे पहले script लिखी जाती है, उसके आधार पर story बोर्ड बनाया जाता है । मैने फ़िल्म की 6,7 मिनट की script बनाई ।
यह मैने बनाया हुआ story board है । इसे चार हिस्सों में बाँटा है । 【1】,【2】यह left में किया गया है, उसे हम shot बोलते है क्योंकि वहाँ पर angle change हुआ है । ठीक उसके नीचे Location का नाम, उसकी length, और S. D. का मतलब scene describe करना | यहाँ पर मैने 5 से 6
अब यहाँ जब एक आदमी ( Commissioner ) समंदर के किनारे खड़ा है, ठीक उसके पीछे सड़क के किनारे police van और ambassador car खड़ी है । उसी वक्त एक हवलदार कुर्सी लेकर भागता हुआ, उस आदमी के पास देता है ।
इस तरह पहले scene को दूसरे शॉट में describe किया है । ठीक उसी location के कारण scene वही है, लेकिन camera angle चेंज किया है । अगले scene में location change है, और किरदार ( बुड्ढा ) की पहचान कराने के लिए काफ़ी सारे शॉट्स लिए, इसे B roll कहते है । इसीलिए वहाँ पर 3 हिस्से किए और ढ़ेर सारे शॉट्स लिए, उन शॉट को "Montage" कहते है ।
अब यहाँ पुलिस चौकी के अंदर scene है, लेकिन उसमे 3 शॉट है । 1 शॉट में पुलिस चौकी के कामकाज़ को बताया है ।
दुसरे शॉट में inspector और FIR दर्ज करने वाले आदमी का शॉट लिया । यहाँ पर भी 3 हिस्से किए, क्योंकि एक बार आदमी की बातचीत फिर Inspector की बातचीत को दिखाया गया और साथ ही साथ एक शॉट दुरसे लिया गया । यहाँ close up लिया गया है, और एक शॉट wide angle से यह शॉट मैने अपने हिसाब से design किया है । अब इन तीनों शॉट के scene का conversation 2, 3 Min. का है , इसीलिए उसके S.D. में continues लिख देंगे क्योंकि उन्ही दो लोगों का शॉट लिया है ।
अब तिसरे शॉट में Shot No. 1 शॉट बताया है, और वहाँ पर वह बुड्ढा आदमी दरवाज़े से enter होता है ।
तो इस तरह Director Story को देखा जाता है और story board बनाकर shooting का काम करता है । story board लगभग set पर मौजुद सभी लोगों के पास होता है, ताकि सबको पता चले कि scene - shot किस तरह लेना है । इससे समय के साथ साथ शूटिंग करने मेंं आसानी होती है ।
अब यहाँ पुलिस चौकी के अंदर scene है, लेकिन उसमे 3 शॉट है । 1 शॉट में पुलिस चौकी के कामकाज़ को बताया है ।
दुसरे शॉट में inspector और FIR दर्ज करने वाले आदमी का शॉट लिया । यहाँ पर भी 3 हिस्से किए, क्योंकि एक बार आदमी की बातचीत फिर Inspector की बातचीत को दिखाया गया और साथ ही साथ एक शॉट दुरसे लिया गया । यहाँ close up लिया गया है, और एक शॉट wide angle से यह शॉट मैने अपने हिसाब से design किया है । अब इन तीनों शॉट के scene का conversation 2, 3 Min. का है , इसीलिए उसके S.D. में continues लिख देंगे क्योंकि उन्ही दो लोगों का शॉट लिया है ।
अब तिसरे शॉट में Shot No. 1 शॉट बताया है, और वहाँ पर वह बुड्ढा आदमी दरवाज़े से enter होता है ।
तो इस तरह Director Story को देखा जाता है और story board बनाकर shooting का काम करता है । story board लगभग set पर मौजुद सभी लोगों के पास होता है, ताकि सबको पता चले कि scene - shot किस तरह लेना है । इससे समय के साथ साथ शूटिंग करने मेंं आसानी होती है ।
No comments:
Post a Comment