आज थोड़ी घबराहट सी होने लगी थी। क्योंकि किसीने भी दिए हुए काम को पूरा नहीं किया, सबका आधा अधूरा काम हो गया था ( ५० शॉट्स लेकर एक ५ मिनट की फ़िल्म बनाना, ५० soundscape, interview अपने मम्मी- पापा का, और एक idea को लेकर documentary बनाना) मैने लगभग सारे काम किए थे सिर्फ idea लेकर documentary बना नहीं पाया साथ मे मेरी ५ मिनट की documentary देखकर सर ने कुछ शॉट्स घर के और कुछ delete करने कहा, लेकिन आलस के कारण में वो काम पूरा नही कर पाया। तन्मय सर मौजूद नहीं थे, उन्हें आने में देर होने वाली थी। हम सभी की बातचीत दीए हूए काम के बारें में हो रही थी।
फिर थोड़ी देर में तन्मय सर आ गए। दिल की धड़कने तेज़ हो गई। आते ही उन्होंने अपने घर के आंगन के पौधों को पानी डालना शुरू किया। उन्हें कोई खाली बैठा है, यह बिलकुल पसंद नहीं, इसीलिए मैने और अतुल ने अपना मोबाइल निकालकर ' पौधों को पानी डालने के शॉट्स लेना शुरू कर दिया। अतुल काफी नज़दीक जाकर शॉट्स ले रहा था, और में थोड़ी दूर से। हालांकि वो उसे बादमे edit करेगा, लेकिन मैने दो तीन शॉट्स लिए और अपने मोबाइल को जेब में डाल दिया।
थोड़ी देर बाद आ गई हमारे फैसले की घड़ी। जो-जो काम दिए उसके बारें में पूछताछ होने लगी। किसी का भी काम पूरा नहीं था। सर नाराज़ हो गए, खासकर ज्यादा मुझसे। क्योंकि उन्होने मुझसे काम की उम्मीद की थी। मुझे अंदर ही अंदर शर्मिंदगी महसुस हो रही थी। सर ने भी हमसे काम की उम्मीद ही छोड़ दी। फिर बहुत सोचने पर सर ने एक लड़के को बाहर से सीमेंट की लादी उठाकर अंदर रखने को कहा। उस लडके ने अपना काम शुरू कर दिया। उस क्रिया की वीडियो निकालने का ज़िम्मा, मुझे और अतुल को दिया। अतुल ने camera लेकर आया था, इसीलिये वो camera से शूट कर रहा था और मै मोबइल फोन से शूट कर रहा था। आगे जाकर मैने उन मजदूरों का भी शॉट लिया, जहाँ वो काम कर रहे थे। वो लोग ज़मीन में गड्ढा बनाकर चार बंधी हुई सलियों को अंदर डालकर माप ले रहे थे। उनका काम देखने पर लग रहा था की वो वहां आगे जाकर लाइट का पोल बांधेंगे। सर ने बुलाकर जिस जिस लोगों का काम बाकी था, उसे पूरा करने के लिए कहाँ।
Technical room में सारे लोग अपना बचा हुआ काम करने लगे। एक एक करके कुछ लोगों ने अपनी बनाई हुई, फ़िल्म दिखाई। मेरी तो सर ने पहलेसे देखी थी, बस उसमे कुछ घर के शॉट्स add करने थे। सभी अपना बचा हुआ काम कर रहे थे और मै सुबह जो शॉट, ( पौधों को पानी डालना, सीमेंट की लादी को उठाता हुआ लड़का और मजदुरों का गड्ढा खोदना ) लेकर आया था। उसे laptop में edit करने की कोशिश कर रहा था। फिर हमारा लंच ब्रेक हो गया |
फिर थोड़ी देर में तन्मय सर आ गए। दिल की धड़कने तेज़ हो गई। आते ही उन्होंने अपने घर के आंगन के पौधों को पानी डालना शुरू किया। उन्हें कोई खाली बैठा है, यह बिलकुल पसंद नहीं, इसीलिए मैने और अतुल ने अपना मोबाइल निकालकर ' पौधों को पानी डालने के शॉट्स लेना शुरू कर दिया। अतुल काफी नज़दीक जाकर शॉट्स ले रहा था, और में थोड़ी दूर से। हालांकि वो उसे बादमे edit करेगा, लेकिन मैने दो तीन शॉट्स लिए और अपने मोबाइल को जेब में डाल दिया।
थोड़ी देर बाद आ गई हमारे फैसले की घड़ी। जो-जो काम दिए उसके बारें में पूछताछ होने लगी। किसी का भी काम पूरा नहीं था। सर नाराज़ हो गए, खासकर ज्यादा मुझसे। क्योंकि उन्होने मुझसे काम की उम्मीद की थी। मुझे अंदर ही अंदर शर्मिंदगी महसुस हो रही थी। सर ने भी हमसे काम की उम्मीद ही छोड़ दी। फिर बहुत सोचने पर सर ने एक लड़के को बाहर से सीमेंट की लादी उठाकर अंदर रखने को कहा। उस लडके ने अपना काम शुरू कर दिया। उस क्रिया की वीडियो निकालने का ज़िम्मा, मुझे और अतुल को दिया। अतुल ने camera लेकर आया था, इसीलिये वो camera से शूट कर रहा था और मै मोबइल फोन से शूट कर रहा था। आगे जाकर मैने उन मजदूरों का भी शॉट लिया, जहाँ वो काम कर रहे थे। वो लोग ज़मीन में गड्ढा बनाकर चार बंधी हुई सलियों को अंदर डालकर माप ले रहे थे। उनका काम देखने पर लग रहा था की वो वहां आगे जाकर लाइट का पोल बांधेंगे। सर ने बुलाकर जिस जिस लोगों का काम बाकी था, उसे पूरा करने के लिए कहाँ।
Technical room में सारे लोग अपना बचा हुआ काम करने लगे। एक एक करके कुछ लोगों ने अपनी बनाई हुई, फ़िल्म दिखाई। मेरी तो सर ने पहलेसे देखी थी, बस उसमे कुछ घर के शॉट्स add करने थे। सभी अपना बचा हुआ काम कर रहे थे और मै सुबह जो शॉट, ( पौधों को पानी डालना, सीमेंट की लादी को उठाता हुआ लड़का और मजदुरों का गड्ढा खोदना ) लेकर आया था। उसे laptop में edit करने की कोशिश कर रहा था। फिर हमारा लंच ब्रेक हो गया |
लंच ब्रेक के बाद हमें सर ने ME AND MY SELF की फिल्म दिखाई जो उनके कुछ विद्यर्थियों ने बनाई थी| वह फ़िल्में ऐसी थी की,
फिल्म क्रमांक १
इस फ़िल्म मे हाथ दिखाया गया और पूरी दो उंगलियां को लेकर फिल्म बनाई गयी | याने की जैसे हम उंगलियों से चलने का इशारा करते है | ठीक एक कांच की बॉर्डर पर उंगलिया चल रही थी काफी कोशिश करने पर वह एक जगह से दूसरी जगह ना जा सकी आखिर में एक IDEA लगाकर उसने उस पड़ाव को पार किया इससे यह समझ में आता है की, उसे जो कहना था उसने कह दिया हमें ज़िन्दगी में हार नहीं माननी चाहिए बस कोशिश करते रहनी चाहिए एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी
फिल्म क्रमांक २
इस फिल्म में हमें एक सरदार जी नज़र आया थोडीसी कॉमेडी थी BACKGROUND आवाज़ भी थी लडके की शरारत मस्ती उसका प्रपोज़ करना आदि चीज़ों को बताया गया है इस फिल्म से एक बात समझी की यह किसी एक की कहानी हो सकती है
फिल्म क्रमांक ३
इस फिल्म में एक लडका अपने दोस्तों के बारे में बता रहा था उसने अपने हाथ के पांच उँगलियों पर चहरे बनाये एक हैप्पी एक गुस्सैल एक मस्तीखो ऐसे कुछ लोग मुलकर उनका एक introduction दिया
इन तीनो फिल्म में से मुझे पहली फिल्म पसंद आयी क्योंकी उसमे जो भी बताना था उसने क्लियर कहा और अच्छी बात यह लगी की उसने बताया तो कुछ नए तरीके से जैसे तन्मय सर ने हमें दूसरे दिन ही कहा था की कहानी कोई भी हो हम उसे अलग तरीके से नए तरी से प्रेजेंट करते है तो फ़िल्म ज्यादा अच्छी होती है
और उस फिल्म में ही वही दि खाया गया जो नया था
आगे जाकर टि ब्रेक हुआ उस समय हमने उस समय black & white मूवीज को देखना शुरू किया जिसमे adolf hitler के जीवन का हिस्सा बताया गया है याने की उसका स्वागत लोगों के प्रति प्रेम उसकी speech वहां की फ़ौज आदि चीज़ों के बारे में बताया गया और काफ़ी खूबसूरती से दर्शाया गया बनाने वाली एक औरत ने बनाया था सर थे की वह सारे film makers की माँ है
आगे जाकर हमने आनंद पटवर्धन की फिल्मे देखी
फील क्रमांक १
हमारा शहर bombay our city उस फिल्म में हमें बेघर किये गए लोगों के बारे में बताया गया है पुलिस का उनके प्रति बर्ताव वो लोगों का रहना और अधिकारीयों के interviews याने की उनकी राय फिल्म देखने से मालुम हुआ की गरीबों के साथ अन्याय हुआ है और इस फ़िल्म के माध्यम से उनके दुःख दर्द दिखाए गए है
फिल्म देखने के लिए यहाँ click किजिए https://www.youtube.com/watch?v=GX2_wacyCxw
फिल्म गुजरात में हुए दंगो के बाद के हालत के बारे में बताया गया
ऐसी बहुत सी documentary हे जो उहोने किसी सत्य घटना को है जैसे कि
राम के नाम https://www.youtube.com/watch?v=OO-VaJBHiik
जय भीम कामरेड https://www.youtube.com/watch?v=Wcrf1ehyTEE
डाक्यूमेंट्री देखने के बाद हमारी चर्चा हुयी हम भी यह सारी चीज़ें कर सकते है बस करने का जज़्बा जरुरी है लोगों के interviews वहां के छायाचित्र वहाँ के क्लिप्स बस इन्ही को जोडकर सत्य घटना पर डाक्यूमेंट्री बनाई जाती है और आगे जाकर में भी एक डाक्यूमेंट्री जरूर बनाऊंगा
और उस फिल्म में ही वही दि खाया गया जो नया था
आगे जाकर टि ब्रेक हुआ उस समय हमने उस समय black & white मूवीज को देखना शुरू किया जिसमे adolf hitler के जीवन का हिस्सा बताया गया है याने की उसका स्वागत लोगों के प्रति प्रेम उसकी speech वहां की फ़ौज आदि चीज़ों के बारे में बताया गया और काफ़ी खूबसूरती से दर्शाया गया बनाने वाली एक औरत ने बनाया था सर थे की वह सारे film makers की माँ है
आगे जाकर हमने आनंद पटवर्धन की फिल्मे देखी
फील क्रमांक १
हमारा शहर bombay our city उस फिल्म में हमें बेघर किये गए लोगों के बारे में बताया गया है पुलिस का उनके प्रति बर्ताव वो लोगों का रहना और अधिकारीयों के interviews याने की उनकी राय फिल्म देखने से मालुम हुआ की गरीबों के साथ अन्याय हुआ है और इस फ़िल्म के माध्यम से उनके दुःख दर्द दिखाए गए है
फिल्म देखने के लिए यहाँ click किजिए https://www.youtube.com/watch?v=GX2_wacyCxw
फिल्म गुजरात में हुए दंगो के बाद के हालत के बारे में बताया गया
ऐसी बहुत सी documentary हे जो उहोने किसी सत्य घटना को है जैसे कि
राम के नाम https://www.youtube.com/watch?v=OO-VaJBHiik
जय भीम कामरेड https://www.youtube.com/watch?v=Wcrf1ehyTEE
डाक्यूमेंट्री देखने के बाद हमारी चर्चा हुयी हम भी यह सारी चीज़ें कर सकते है बस करने का जज़्बा जरुरी है लोगों के interviews वहां के छायाचित्र वहाँ के क्लिप्स बस इन्ही को जोडकर सत्य घटना पर डाक्यूमेंट्री बनाई जाती है और आगे जाकर में भी एक डाक्यूमेंट्री जरूर बनाऊंगा