Tuesday 22 September 2020

actuality  ( कमरे की खामोशी..... )                

                actuality  ( जगह का विवरण करना )
                                     
                               कमरे की खामोशी.....
                  

                बाहर काफी तेज़ धुप थी | स्टेशन नज़दीक होने के कारन काफी शोरगुल था | हर कोई अपने में खोया हुआ था | कोई फोन पे बातें कर रहा है , कोई गप्प्पे लड़ा रहा है, कोई गन्ने का जूस पि रहा है | आसपास बस सड़के और सडकों की ऊपर दौड़ती हुई गाड़िया | मै किसी तरह से इस माहौल से बच निकला और एक २ मंज़िल वाली बिल्डिंग में घुस गया | वहां पर गेट भी लगा हुआ था | पहरेदार अपनी DUTY छोड़कर न जाने कहा भटक रहा था | बच्चे बाहार खेल रहे थे, बच्चों ने एक ही कलर की शर्ट और हाफ पैंट पहनी थी | फिर मैने एक कमरे का दरवाज़ा देखा। दरवाज़ा काफी बड़ा था, और खुला भी था। मै उस कमरे गया | कमरा काफी बड़ा था।वहां पर कोई नहीं था, सिवाय एक आदमी के उसने grey कलर का शर्ट और BLUE  कलर पैंट पहनी हुई थी | आदमी कमरे की चारों दिशाओं के चक्कर काट रहा था। चक्कर काटते हुए वो आदमी mobile फोन में कुछ देख रहा था। कमरे की दाई ओर  ५ खिड़की तो कमरे की बाई ओर ४ खिड़की ऐसी कुल मिलाकर ९ खिड़कियां थी | कमरे की दाएँ ओर की १ खिड़की  खुली थी, तो बाएं ओर की २ खिड़किया खुली थी| कमरे में एक छोटासा स्टेज भी था | स्टेज के पिछले हिस्से को मेहंदी कलर के प्लेन कपडे से सजाया था | स्टेज को टेबलों को बांधकर बनाया था | कमरे के अंदर २ प्लास्टिक की कुर्सियां और २ लकड़ियों की पुरानी कुर्सियां थी। सामने की तरफ दरवाज़े के दाईं ओर ४ लोहे के कपाट थे। उनमें से ३ का रंग light grey था, और एक का हरा। हरा रंग काफी गहरा था। बाईं तरफ एक बडासा चौड़ा टेबल था | कमरा पूरी तरह से खाली था |  पास में स्टेशन होने के कारन गाड़ियों की पि - पि , और बच्चो की खेल कूद की आवाज कमरे में गूंज रही थी | में जैसे ही कमरे घुसा, तो कमरे के अंदर मौजूद ठंडक ने मुझे अपनाया | मैने २ प्लास्टिक की कुर्सीयों में से एक कुर्सी उठाई, और ऊपर देखा तो छत पर पंखो ने अपना डेरा डाला हुआ था | फिर मै दाई और के खिड़की के पास बैठने जा रहा था की, वहा पर खिड़की में से किरणे होकर ज़मीन पे अपना कब्ज़ा जमा बैठी है | फर्श पर पड़ी हुई किरणों की चादर की वजह से मानो आसपास रोशनाई छाई हुई थी। मै कुर्सी लेकर आगे आया, तो ज़मीन पर पड़ी हुई किरने फर्श से होकर मेरे आखों पर आ टपकी | कुछ देर के लिए आँखों पर अंधेरा छा गया था | फिर वहां से में हट गया और कुर्सी को खिड़की की उलटी दिशा में रखकर पंखा चालू करने गया | जैसे ही मने बटन दबाया की पंखा खुद कि ओर चक्कर काटने लगा | पंखा चालू होने के बाद हवा का रूख धीरे धीरे बढ़ने लगा | धीरे धीरे हवा का स्पर्श मेरे बालों से लेकर मेरे पुरे बदन को छुने लगा | जैसे जैसे मै कुर्सी की ओर बढ़ने लगा वैसे वैसे हवा रुख बढ़ते जा रहा था | कुर्सी पर बैठने पर मैने अपना सारा वज़न कुर्सी को दे दिया | आँखे बंद की और अपने सिर कोे पिछे की तरफ झुकाया और एक लम्बी सांस ली | ऐसा करने से मुझे बड़ी राहत मिली | सांस लेने पर मुझे नाक से लेके गले तक  उसके अंदर जाने तक का एहसास हो रहा था, पर जब सांस बाहर छोड़ी तो उसका स्पर्श सिर्फ नाक को हुआ | मैने अपनी दिन भर की साड़ी थकन उस कुर्सी को दे दी थी | फिर मैंने आँखें खोली और हवा की ताज़गी को महसूस  करने लगा | मेरे पीछे और एक चौड़ा टेबल था। लेकीन वो पहले वाले से काफी छोटा था।
                   सारे कमरे मे सन्नाटा छाया हुआ था। सिर्फ आदमी के चलने से उसके पैरों में की चप्पल आवाज़ कर रही थी। बाहर का शोरगुल अब तक सुनाई दे रहा था। फिर एक आदमी प्लास्टिक की एक कुर्सी लेकर आया और रखकर चला गया। फिर grey शर्ट वाला बाहर गया। और जिसने कुर्सी रखी थी, वो आदमी अंदर आया। आदमी ने सफेद रंग की शर्ट, जिसपर सीधी काले रंग की रेखाएं थी, और काले रंग की पैंट पहनी थी। याने formal कपड़े पहने थे। पैरों में उसने office चप्पल पहनी थी। आदमी उस बड़े से दरवाजे के सामने मुंह करके एक पैर के ऊपर पैर डालकर कुर्सी पर बैठा। फिर एक औरत आई उसने हरे  रंग पंजाबी सूट पहना था। वो औरत कमरे की बाई ओर से यहां से वहां, वहां से यहां चल रही थी। उसने परों में चप्पल पहनी नही थी, पर उसने जो बंगड़ी पहनी थी उसमें से हल्किसी आवाज़ आ रही थी।
                   उसके बाद हवा का हल्कासा झोंका आया और मेरे बालों को बिगाड़कर चला गया। मैने अपने बाल ठीक किए, और कमरे की खामोशी को देखने लगा। हवा चल रही थीं, इसलिए कमरे की दाई ओर का छोटासा दरवाजा खुलने लगा। दरवाजा खुला होने पर, बैठा हुआ आदमी उठकर दरवाजे के पास गया और उसने दरवाज़े के बाहर झांककर देखा। और दरवाज़े को जोर से बंद किया। धड़ाम..... करके आवाज निकली। आवाज़ उस कमरे में गूंज उठी। फिर उसने दरवाज़े को अच्छे से बंद किया, और अपने कुर्सी पर जाकर बैठ गया। फिर मैने सामने की तरफ ऊपर देखा, तो एक बंद कपाट था। कपाट लकड़ी का था। उसके बीचोबीच कांच का आवरण लगाया । उसमे कुछ ट्रॉफियां, कुछ प्रमाणपत्र रखे थे। उसमे एक ट्रॉफी थी, जो बाकी ट्रॉफीयों से काफी बड़ी थी।
                      फिर मेरा ध्यान दरवाज़े की ओर गया। फिर grey शर्ट वाला आदमी हाथ में २ सफेद रंग की कुर्सीया लेकर आया। उसने एक कुर्सी को बड़े से दरवाज़े के बाई और रखा और दूसरी को बिल्कुल उसके सामने रखा। दरवाज़े की तरफ वाली कुर्सी पर बैठा और सामने वाली कुर्सी पर पैर रखकर सो गया।  अचानक देखा की, हवा का रुख़ कम हुआ। ऊपर देखने पर पंखा बंद हुआ था। बिजली चली गई थी। धीरे धीरे गरमी बढ़ने लगी। तभी एक लड़का उस बड़े से दरवाज़े से झांककर देख रहा था और फटसे वहां से भागा। फिर वही लड़का अपने साथ एक और लड़के को लेकर आया। दूसरा लड़का पहले वाले कि ऊंचाई से छोटा था। दोनों ने एक ही रंग के कपड़े पहने थे। पहला लड़का उस सफेद शर्ट (फॉर्मल कपड़े वाला) वाले आदमी से बातें करने लगा। लड़का बातें करते वक्त हंस रहा, लेकिन छोटा लड़का चुप था। फिर उस आदमी ने उनको जाने को कहा और अचानक ऊपर से जोर से घंटा बजने की आवाज़ सुनाई दे पड़ी। घंटे की आवाज़ सुनकर बच्चों की चीखने- चिल्लाने की आवाज़ आने लगी। बच्चों की आवाज़ में जोश था। फिर मै यहां वहां देखने लगा कि, दो लड़के आ गए। दोनों ही उछल कूद करते हुए आ रहे थे। उनके पीछे से दो लडकियां चलते हुए आ रही थीं। आते वक्त वो दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे। फिर ३- फिर ४, ऐसे धीरे धीरे बच्चों की संख्या बढ गई। और कमरे की शांतता को भंग कर दिया। कुछ बच्चे स्टेज के ऊपर से दौड़ने लगे। दौड़तेे वक्त स्टेज के टेबल जोर जोर से हिलने लगे। जिससे जोर जोर से आवाज होने लगी। कुछ बच्चे फर्श पर दौड़ने लगे, फर्श पर दौड़ते वक्त उनके पैरों में से  चट- चट आवाज़ आ रही थीं। फिर भी grey कलर की शर्ट वाला आदमी इतने शोरगुल में अभी भी सो रहा था। इतने में हवा का रुख बढ़ गया। मैने पैर में से चप्पल निकाली। धीरे धीरे पैरों की गर्मी, हवा ने अपना ली, और पैरों को काफी ठंडक मिलने लगी। बाल हवा में झूमने लगे। बिजली आने पर बच्चे भी और जोर से शोर करने लगे, खेलने लगे।
            थोड़ी देर बाद वहां फिर से घंटा सुनाई दी। बच्चों का चीखना कम हुआ। एक एक करके सारे बच्चे उस कमरे से बाहर निकलने लगे। एक लड़का अपने दोस्त का हात पकड़कर ऊपर जाने के लिए कह रहा था। कुछ बच्चे एक दूसरे के गले में हात डालकर बाहर जाने लगे। लेकिन कुछ बच्चे अभी भी खेल रहे थे। यहां से वहां भाग रहे थे। एक दूसरे चिढ़ा रहे थे- चिख रहे थे। अचानक मेरे पीछे से आवाज़ आई।
आवाज़ थोड़ी भारी थी। मैने पीछे देखा, तो एक आदमी उन बच्चों को डांट रहा था। वो उन्हें ऊपर जाने के लिए कह रहा है। फिर बच्चे चुप- चाप एक साइड हो गए। और एक जगह बैठ गए। आदमी पीछे के दरवाज़े से चला गया। धीरे धीरे कमरे में शांति छाई। वहीं किरणे फिरसे जमीन पर आकर बैठ गई। हवा का स्पर्श फिरसे मुझे छूने लगा। बाल हवा में झूमने लगे। वही सन्नाटा, वही आवाज़े फिरसे आने लगी और एक बार फिरसे कमरे की खामोशी लौट आई।

1 comment:

  1. Nice effort. Just remember to keep the banana.
    Then lay it so there is a context, all is linked to arrive at something of value.

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                actuality  ( जगह का विवरण करना )                                                                      कमरे की खामोशी........