Sunday 17 June 2018

# Session pura filmy hai - 5

             
               आज बारी थी दूसरे टीम की और जैसे कि मैने कहाँ था, की आज उन्हें अपनी कहानी को बनाकर shooting करनी थी। उन्होंने कल हमारी वजह से सबक सिखा था और अपनी plannig करली। उन्होंने सिर्फ दो camera और अपने हर एक team member को काम दिया, जिससे उन्हें अपनी shooting के वक्त कोई दिक्कत नही आयी। उन्होंने अपनी story बनाई और shooting शुरू की। उन्होंने वहां reflector भी इस्तेमाल किया। साथ ही साथ microphone को भी इस्तेमाल किया।
                 shooting ख़त्म करने के बाद हम हमारी क्लास में दोबारा आ गए। वहाँ पर फिर इस पर चर्चा हुई और उन्होंने बाज़ी मार ली। क्योंकि उन्होंने सब कुछ ready किया था, अपनी plannig, location और आदि सारी चीज़ों का इस्तेमाल किया था।
फिर हमें एक फ़िल्म की clip दिखाई गई, जो oscar award के लिए चुनी गई थी।


   
      इस फ़िल्म में जिस तरह की lighting इस्तेमाल की गई वह क़ाबिले तारीफ़ है। जिस तरह से camera angal, उसमें इस्तेमाल किये हुए trick आदि सभी चीज़ों को देखकर मै देखता ही रह गया।
      आज workshop का आख़री दिन था। इसीलिए हमने जितना भी इन दिनों में सीखा वह फिरसे दोहराया। 
         1) A.V. , S.S. , ISO के बारे में जानने के लिए आप मेरा यह BLOG पढ़ सकते है। http://abhiwaghmare.blogspot.com/2018/06/session-pura-filmy-hai.html?m=1
         2) Scripting का screen play, 3 point lighting, camera shots, rule of third  के बारे में जानने के लिए आप मेरा यह BLOG पढ़ सकते है।   http://abhiwaghmare.blogspot.com/2018/06/session-pura-filmy-hai-2.html?m=1
        3) फ़िल्म की process, Audio graphy के बारे जानने के लिये आप मेरा यह Blog पढ़ सकते है।
 http://abhiwaghmare.blogspot.com/2018/06/session-pura-filmy-hai-3.html?m=1
       4) story board, और एक डार्क रूम के अंदर जलते हुए बल्ब के तार की तस्वीर निकालना। इस कि जानकारी के लिए आप मेरा यह BLOG पढ़ सकते है।
 http://abhiwaghmare.blogspot.com/2018/06/session-pura-filmy-hai-4.html

 आगे हमें कुछ carrier guidance दिए। 

 photography - photo exhibition जाएं, online photo देखें ( market मे किस तरह की photo है ), photo observe करें, ख़ुद खींचकर देखें ( आप मोबाइल से भी photo खींच सकते है )

Cinematography - हर रोज दो movies देखना, movie को observe करें, light को समझे, और खुद video निकाले ( इसमे आप mobile को zoom करें और एक object का still video लीजिए इससे आपको camera hold करने की आदत लगेगी। )
 
Script writting - रोज़ दो कहानियाँ सुने, रोज़ दो फ़िल्में देखें।
 
Video editing - 2 movie देखें ( इससे cut, transition, effects के बारे में जान पाओगे।
 
Audio editing - रोज़ दो गाने सुने, और फ़िल्म की ऑडियो को ध्यान से सुने।
   इस तरह हमने इस पर चर्चा की, और हमने workshop ख़त्म किया। 

Thursday 14 June 2018

# Session pura filmy hai - 4

               
             
             आज का दिन महत्वपूर्ण था। आते ही हमने कहानी को सुनना शुरू किया। क्योंकी आज हम video graphy करने वाले थे। कहानी थी, असावरी। जो थी 'नीलेश मिश्रा' की जुबानी। 'नीलेश मिश्रा' यह एक radio jockey है। जो story telling का काम करते है। उनकी आवाज़ में एक ऐसा रीदम है, जो हमे कहानी से जुड़ा रखता है। तो हम बात कर रहे है, " असावरी "।


              इस कहानी को सुनकर हमें story board बनाने के लिए कहाँ गया। story board में होता है, सीन का location - सीन के character, सीन मै इस्तेमाल की गई चीज़े। याने की आप जब शॉट लेते हो तो वहाँ की जरूरती चीज़ें, याने की लेने वाले शॉट को describe किया जाता है। मैने बनाया हुआ story board कुछ इस तरह का था।

Story board में आपकी drawing अच्छी होना जरूरी नही। जरूरी यह कि आप उसमे क्या बताना चाहते हो।                                  
       Story board के बाद हम videography की ओर बढ़ गए। यहाँ हम 20 लोग थे, जिसमें हमे 2 हिस्सो में बाँटकर story बनाने को कहाँ। क्योंकि हम फ़िल्म बनाने जा रहे थे, तो कहानी होना बहुत जरूरी था। दोनों ग्रुप का subject एक ही था NO SMOKING। हमने story बनाई और निकले शूट करने। shoot करते समय काफी दिक्कतें आयी क्योंकि shoot के लिए 2/3 camera चाहिए थे, आ गये 5 camera's, साथ ही साथ वहाँ पर दोनों team थी तो croud बड़ा था, हमारा croud देखने पर लोगों का croud बढ़ गया। shoot भी ठीक से हो नही रह था। और फिर shoot ख़तम किया और आ गए हमारे class के अंदर। फिर हमने वहाँ चर्चा की। हमने हमारा अनुभव बताया। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकी हमने ना planning किया था - cameraman कितने होंगे वो decide नही हुआ था - location के बारे में सोचा नही था। इसी लिए हमे दिक्कतें आ गयी। लेकीन इसका फायदा दुसरे team को जरूर होगा, क्योंकी हमारे जैसे वह गलती नही कर पाएंगे। उनका शूट दूसरे दिन रखा गया।                                     लेकिन इससे मैने पाया 'अनुभव'। क्योंकी, इन्सान अनुभव से बहुत कुछ सिखता है। 
आगे जाकर हमने किया साधे बल्ब पर प्रयोग किया। बल्ब जलाने पर हमें उसकी तस्वीर लेनी थी। वह कुछ इस तरह की होगी।                          

       यहाँ हमें बल्ब की तार की photo निकालनी थी। इस फोटो को निकालने के लिए Apurture value हमे ज्यादा रखकर, shutter speed कम रखनी होगी और साथ ही साथ ISO को 100 लेकर आप तस्वीर ले सकते है।                      
फिर हमे GOLDEN HOURS के बारे में जाना। GOLDEN HOURS वह है जब आसमान नारंगीसा ( orange ) छा जाता है। इस वातावरण में हम कोई भी photo निकाले वह देखने मे बढ़िया ही होती है।

Wednesday 13 June 2018

# Session pura filmy hai - 3


             
         फिल्मों की क्लास हो गई शुरू और फ़िल्म बनाने के लिए जरूरी चीज़े क्या होती है ?, उसपर चर्चा की। फ़िल्म की process कुछ इस तरह होती है,

         1)  Idea           
         2)  Story
         3)  Script
         4)  Story board
         5)  Budget
         6)  casting/ crew ( Director, Actor, etc. )
         7)  Make up/ Costume
         8)  planning
         9)  Shoot
        10) Dubbing
        11) Editing/ Music
        12) Screening + Promo + Distribution
        आगे जाकर हमने photograph निकालना शुरू किया। उसमे Real shot, mock shot की तस्वीर कैमरा में उतारी।
           
         फिर पूरी टीम की खिंची हुई तस्वीरों की screening हो गई। हम सभी ने photos में  अपनी गलती को ढूंढा, टिका - टिपण्णी की। class में काफी रंगीन माहौल था, हमारे साथ पहचान कौन game खेला जा रहा था। जिसमे हमें photo का A.V. ( Apurture Value ), ISO और S. S. ( Shutter Speed ) को कि setting बतानी थी। काफी मज़े से गेम को enjoy कर यह थे और उसकी settings बता रहे थे। मैने photo की setting बताई लेकिन कभी उसके नज़दीक आता तो उससे दूर । लेकिन इससे यह बात पता चली की एक proffessional photographer  तस्वीर देखकर उसकी settings बात सकता है।


 मैने खींची हुई एक तस्वीर, इसे macro photograph कहते  है।
    
   
      इसके बाद हमने एक short फ़िल्म देखी। इसमे हमे कैमरा के    shots, cut कितने थे, वह देखना था।

 Audiography -
     फ़िल्म में Audiography काफ़ी जरूरी है। क्योंकि जिस फ़िल्म में आवाज़ नहीं उसमें मज़ा नही। dilalogue के बिना भी फ़िल्म बनती है, लेकिन वहाँ background music इस्तेमाल किया जाता है। camera में एक microphone होता है वो वीडियो के साथ आवाज़ को भी capture कर लेता है। लेकिन कैमरा का "audio recorder" quality के मामले काफी खराब होता है। इसीलिए हम फ़िल्म बनाते वक्त mikes का इस्तेमाल करते है। जिससे आवाज़ काफी smooth और clear सुनाई देतो है। ऐसे में हमने कुछ mikes के बारे मे जाना जिसमे Boom mike, lappel mike, foot mike  (omnidirectional mike ) के बारे में बताया। अगर सरल भाषा मे बताए तो इसमें इनका काम बस आवाज़ को रिकॉर्ड करना। बस फर्क यही की अलग अलग situation में अलग अलग mikes इस्तेमाल किये जाते है। जैसे कि अगर हम फ़िल्म में कोई fight सीन देख रहे है तो उस वक़्त वहाँ "boom mike" इस्तेमाल होता है। award function होता है, तो वहाँ "lapel mike" इस्तेमाल होता है।
             माईक के बाद आता है, sound recorder जिसमें आवाज़ को कैद किया जाता है। sound recorder में हम आवाज़ का level सेट करने के बाद उसे इस्तेमाल करते है। इसके अंदर level देखने के लिए एक "बार" भी होता है जो sound के level को दर्शाता है, इसे view meter कहते है।   उसमें हम आवाज की सेंटीग भी देख सकते है। आवाज़ का लेवल -12 के पास हो तो वह परफेक्ट  कहा जाता है। Input button से हम आवाज की level को सेट कर सकते है। हमें हमेशा mannual पर रखना चाहिए, क्योंकि इसमें पूरा कंट्रोल हमारे हाथ में रहता है। जैसे कि हम sound के level को वातावरण के हिसाब से control कर सकते है ( अगर हवा आ रही है, तो उसे input level से adjust करना। हवा चल रही होगी तो जो बातें कर  रहा होगा उसके पास उस recorder ले जाना चाहिए। ) लेकीन हमारा sound recorder कितना भी अच्छा हो उसमे से हवा को पास होना ही होना है। हमें यहाँ पर zoom का 8 पोर्ट वाला बडा recorder दिखाया गया। हम computer में भी पोर्ट देखते है, जिसके नाम USB port, WLAN port, HDMI port वैसे ही इसमें port है। इसे XLR port कहाँ जाता है। 

XLR cable & port - 

                             

                        XLR

                                    
     Acronym                                          Defination
      
       XLR                                            Extreme Luxury 
                                                        Roadster ( Cadillac )

      XLR                                        External Line Return
                                                 ( Audio Connection & Cable Type )             

     XLR                                  Cannon X Series, Latch, Rubber                                                                                      ( Audio cable connector )                       
                                                                                                  

    XLR                                             * X Latching Resilient *                                                                                      Rubber Compound                      
  ( Connector type )                        

 
     यह है वो 8 port वाला Recorder जिसे हमने आज़माया था। 
 इसे हम चार्जिंग के साथ बॅटरी डालकर भी इस्तेमाल कर सकते है।
  इसके अलावा handy recorder भी आते है ।


Tuesday 12 June 2018

# Session pura filmy hai -2

आज सत्र में हम ने बातें की कुछ रघु राय जी के photograph के बारे मे। जिसमे हर एक तस्वीर अपनी कहानी बताती है। अच्छा फ़ोटो वही जो अपनी कहानी बताए। बात करें फ़ोटो की,
यदि हम फ़ोटो देखे तो, दो वह तरह के होते है।
Horizantal और Vertical
उसके बाद आये हम film making के सत्र पर, जिसमे मैने जाना,
screen play, real photograph और mock photograph, 3 point lighting, Rule of third, camera shots/ Angal और आखिर में shutter speed
1) Screen play -
Screen play यह पार्ट film making का महत्वपूर्ण हिस्सा है। screen play लिखने के लिए कहानी जरूरी होती है।
Fade in -
fade in the देखते है, याने जब फ़िल्म की शुरवात black screen से white screen या कोई footage आने तक के वक्त को हम fade इन कह सकते है।
sub heading
इस पार्ट को 3 हिस्सो में किया जाता
External ( EXT ) + writter store + day
External याने बाहर scene shoot करे, तो उसकी गणना वहां की जाती है। उदाहरण के लिए हम जंगल, रास्ते आदि.
Writter store मे हम वहाँ की location के बारे मे लिखे जहाँ हम scene shoot करने वाले है।
Day में हम scene shoot कौन से समय मे करने वाले है, वह देखा जाता है।
अगर हम घर के अंदर, बिल्डिंग के अंदर scene shoot करे तो हम उसे Internal ( INT ) कहते है।
आगे जाकर किरदार, फिर उसके बारे मे जानकारी, उसके dialogue यह सबकुछ आता है।
एक proffessional screen play देखे तो इस फोटो में हम detail में देख सकते है। 

2) Type of photograph -
√ Real shot ( photograph )
√ Mock shot ( photograph )
Real shot में हम किसी चीज़ की तस्वीर को "on the spot" खिंचते है। जैसी भी situation हो उसे हम वहां होने वाली घटना को camera में कैद कर लेते है। उदाहरण के लिए हम किसी शेर की photo देख सकते है।
Mock shot में किसी चीज़ को सही से लागकर, उसे अच्छे से set करते है और फिर उसकी तस्वीर को खींचते है। उदाहरण के लिए हम शादी के फोटोज़ देख सकते है।
3) Three point lighting -
Three point lighting याने की तीन lights को अलग अलग composition में रखकर photo खिंचा जाता है। इसमे 3 light को, एक fixed किये हुए पॉइंट पर रख जाता है, इसीलिए उसे Three point lighting कहते है।


key light/ Main light-
इस light को object के बिल्कुल करीब रखा जाता है। इसका उजाला काफी तेज होता है। अगर हम किसी व्यक्ति का फ़ोटो लेते । यह बिल्कुल उसके थोड़ा नज़दीक रखा जाता है। इसे हम main light भी बोलते है।
Feel light -
Key light का focus जहाँ होता है वहाँ पर लाइट ज्यादा होती है, बजाय उसके जो side मे नही होती । वह उसका तेज कम रहता है। इसलिए इस कि कमी को पुरा करने के लिए इस light का इस्तेमाल किया जाता है। यह light का अंतर key light से ज्यादा होता है । इसका तेज कम होता है, जिससे सामने वाला व्यक्ति इसे feel करता है। इसीलिए इसे feel light कहते है।
Back light -
इस light को object के पीछे रखकर फ़ोटो लिया जाता है। इसका यह फायदा की यह बाकी 2 light के प्रकाश को cover up करने की कोशिश करता है।
    इस वीडियो मे इसका पूरा विस्तार किया गया है।
 
4) Rule of thirds -
  इस विडिओ मे अच्छे से समझ पाएंगे।


5) Camera shots/ Angles -
     √ Wide Shot
     √ Full Shot
     √ Mid Shot
     √ Medium Close Up
     √ Close Up # 1
     √ Close Up # 2
     √ Extreme Close Up
     √ Dutch Angle
     √ Low Angle
     √ Low Angle # 2
     √ High Angle
     √ Pan
     √ Cut In
     √ Over The head
     √ Dolly Zoom
     √ Over The Shoulder ( OS )
     √ Over The Shoulder ( OS ) # 2
     √ Over The Shoulder ( OS ) # 3
     √ Medium Two Shot
     √ Medium Two Shot # 2
   
  अगर हम इस वीडियो को देखते है, तो समझने में ज्यादा आसानी होगी। 
   Camera Shots/ Angle :



6) Shutter speed -
            यहाँ पर में Shutter speed का अनुभव शेयर करूंगा। मैने shutter speed को 5 पर रखकर Iso को कम रखे हुए और AV को 20 रखा था। यहाँ पर camera मैने 55 - 300 की lens को इस्तेमाल किया था । फिर कमरे में पूरा अंधेरा किया और मैने अपने एक दोस्त को mobile फ्लैश लाईट के फूलझड़ी की तरह घूमाने कहाँ। और जब फ़ोटो मैने खींचा तो अलग ही नजारा था। फ़ोटो डार्क था लेकिन उसमें जो फ़्लैश लाइट थी, वह पूरी तरह से गोल आयी। जैसे एक फूलझड़ी अंधेरे में जलाने पर दिखती है वैसे दिखाई दे रहा था।


 ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि shutter speed कम था।
           अब इसी चीज़ को मैने उल्टा किया। shutter speed को गाड़ी के speed के हिसाब से सेट किया। जैसे कि गाड़ी चल रही थी 40 कि speed से तो मैने उसे भी 1/40 से सेट किया। उसकी settings कुछ इस तरह थी। अगर हम फ़ोटो ले रहे है, तो
 Settings + Photo setting + Shutter realese mode + Continues H

 इस प्रकार आप camera में फ़ोटो ले सकते है, और उसमें जो बेस्ट होगी आप उसे रख सकते है।
अगर Video निकलना है तो, 
  Settings + Movie setting + Frame rate 25 ( per sec.) 1920 x 1080
 तो इस तरह आप video और photo निकाल सकते है।


Monday 11 June 2018

# Session pura filmy hai -1

                     आज फ़िल्म मेकर्स का पहला दिन। कुल मिलाकर हम 20 से 22 लोग थे। जैसे हम सब बैठे थे खाली हाथ । कई नए लोग थे, तो कई पुराने। मै और मेरे कुछ साथी फ़िल्म मेकिंग से वाकिफ़ थे, तो हमे किसी बात का डर नही था। पर बाकी लोगों में वह थोड़ा बहुत दिख रहा था। हमने अपने अंदर जोश जगाने के लिए warm up किया, जिससे हम और भी फ्रेश हो गये ।
              जैसे ही सप्तर्षि सर आ गए, मानो कोई एक नई ऊर्जा के साथ। पहले से कोलकाता से आ कर काफी थके- हारे दिख रहे थे। लेकिन उन्होंने हमें ऐसा बिल्कुल महसूस होने नही दिया।
काफी मजे से हमारा Introduction हुआ, और क्लास को शुरुवात हो गयी।
          
Camera :-

             सबसे पहले हमें camera के कुछ पहलू देखें। जिसमे हमे
exposure के बारे मे बताया। इस का फंडा एकदम क्लियर है की, अगर फोटो मे बहुत ज्यादा light हो, तो हमारे फोटो मे दिखाई देने वाले object पुरी तरह से सफेद दिखे या फिर मतलब ना ही दिखे, तो वह over exposure होता है।
दुसरा ऐसा की अगर फोटो मे light बहुत ही कम हो, तो फोटो मे दिखने वाला object पुरी तरह से डार्क हो, जीसके अंदर फोटो के कूछ असली object भी खराब डार्क दिखे ऐसे मे वो lower exposure होता है।
अगर फोटो मे light और object यह दोनो चिजें अच्छे दिखाई देती है, तो उसे हम balance एक्सपोसुरे कहेंगे। याने की आपकी फोटो अच्छी है।
                 फिर आई photography की बारी।  Photography इस शब्द का जन्म कैसे हुआ यह पता चला। photo याने light और graphy याने उसका graph। आगे जाकर  3 camera के बारे मे बताया।

1) compact camera -
                  इस प्रकार के कैमरे काफ़ी पुराने होते थे। इसमें photo निकालने के लिए रोल डालना पड़ता है जो कि हमे रोल ही महंगा मिलता है। साथी में photo लेने के बाद उसे wash करने के लिए, photolab में देना पड़ता है।


                   इस प्रकार के camera' s के पीछे काफ़ी खर्च होता है। लेकिन आज भी कुछ लोग इस camera का इस्तेमाल करते है। क्योंकि उनका मानना है कि, memory वाले camera का इस्तेमाल बार बार करने से memory से धीरे धीरे picture quality कम हो जाती है। अगर हम बात करे ' रघु राय ' जी के बारें मे तो यह भारत के मशहुर photographer है । जो इस तरह का camera इस्तेमाल करते है।
उनके बारे में जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए -
http://pro.magnumphotos.com/C.aspx?VP3=CMS3&VF=MAGO31_10_VForm&ERID=24KL535PGF
            अगर सरल भाषा मे कहे तो जिस camera के lens बाहर ना आए वो इस category का camera है।
           Compact camra- दो parts होते है,
     
   1) Analog camera  2) Digital camera 

Analog में हम camera रोल ईस्तेमाल करते है। उदाहरण के लिए हम पुराना "kodak camera" देख सकते है।
Digital में हम Memory card वाले camera ईस्तेमाल करते है। इस का अच्छा उदाहरण हम "mobile camera" देख सकते है।
SLR camera - Single lance reflector
  इस camera को दो ग्रुप में देखा जाता है
  1)  ASLR   2) DSLR
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 1) ASLR -
      इस camera का उपयोग हम normal फोटोज़ खीचने के लिए करते थे। हम आज के cyber shots देखें तो यह इसी प्रकार में गिने जाते है।
  2)  DSLR camera - Digital Single lance reflector
               इस camera से आज हम सभी वाकिफ़ है। क्योंकि बड़े से लेकर छोटे तक, सभी लोगों मे इस की पहचान है।
इस camera यह फायदा है कि, इसमें हम memory card इस्तेमाल करके photo लेने के बाद हम इसे अपनी इच्छा नुसार यहां से वहां दूसरे जगह शिफ्ट कर सकते है, या उसकी copy भी बना सकते है साथ ही साथ हम उसे कंप्यूटर मे भी देख सकते है। और इसमे हम memory कार्ड के storage के हिसाब से कई सारे photo ले सकते है। लेकिन  DSLR camera, compact camera मे काफ़ि फर्क है।


              फिरसे हमने DSLR उपर focus किया। क्योंकी वह आज का trend है, और सारे professional लोग इसे ईस्तेमाल करते है। फिर focal length के उपर चर्चा। जिस lense से हम zoom adjust कर सकते है, उसे focal length कहते है।
फिर आते है, Apurture value (AV - F ), ISO , Speed shutter के पास।
         1)  AV - इसमे हम light का balance बनाकर photo ले सकते है। apurture हम जितना कम रखकर photo खिचेंगे उतनी वह balance exposure में आती है। AV जितनी ज्यादा रखेंगे उतनी वह खराब आती है।
         2) ISO यह भी एक महत्वपूर्ण भाग है। इसमे हम समझो, दिन मे 100 रखते है तो फोटो का exposure level के हिसाब से बढिया आयेगी। अगर हम दिन मे ISO को ज्यादा 5000 रखेंगे तो photo over exposure वाली बन जायेगी, जो की दिखने के लिये खराब होगी। तो हमेशा ISO को समय के हिसाब से adjust करना जरुरी है, दिन मे 100 तो रात के हिसाब से हम ज्यादा से ज्यादा रख सकते है। ISO ज्यादा रखने से एक नुकसान होता है की, फोटो अगर dark area मे खिंचने पर ISO ज्यादा होने से उसका फ़ोटो के ZOOM करने पर हमे फोटो के उपर लाल छोटे छोटे डॉट्स दिखाई देंगे, उसे हम grains कहते है। जीससे फोटो खराब आती है।
          3) shutter speed को भी काफ़ि जरुरी माना जाता है। अगर सरल भाषा मे कहे तो, एक डार्क रूम के अंदर हम shutter speed 30 sec. रखेंगे और दुसरे कॅमेरा मे shutter speed मानो 1/100 sec. रखेंगे। हम जब फोटो click करते है तो 1/100 की फोटो खिंची जाती है, तो 30 sec. थोडी देर बाद फोटो लता है। जब हम फोटो को देखते है, तो 1/100 की photo डार्क और 30 sec. मे फोटो क्लियर दिखायी देता है।
ऎसा इसलीए हुआ, क्योंकी कॅमेरा मे फोटो लेने पर 1/100 वाला कॅमेरा बाहर की पुरी light को अंदर खिंच नही पाता और 30 sec. मे camera बाहर की light को पुरी तरह अंदर खीचने के लिए समय लेता है, जिससे हमारी तसवीर डार्क रूम मे भी दिखायी देती है।
याने की simple मे कहे तो, sutter speed ज्यादा तो light कम और shutter speed कम तो light ज्यादा।
अगर हम lance पुरी तरह से घुमाकर देखे तो  AV , ISO मे  change दिखायी देता है।
अब बात करते है, lense के बारे किस lense को क्या कहेंगे।
35 mm - 8 mm :- standard lense
  8 mm - 18 mm :- ultra wide lense ( Fisheye lens )
18 mm - 34 mm :- wide lense
85 mm - 500 mm :- tele lense
  50 mm lens :-  prime lens
   
1)Standard lense ज़्यादा तर फ़िल्म मेकर्स इस्तेमाल करते है।
2)Tele lense अगर हम क्रिकेट देखते है, तो वहाँ tele lense इस्तेमाल किया जाता है।
3) ultra wide ज़्यादा तर Advt. मे इस्तेमाल होता है। जैसे की hotel की lobby।
4) wide lense हमारे normal camera मे आती है।
अब आते है, फिरसे DSLR पर । camera की lens को जहा बिठाया जाता है। वहाँ पर हम ठीक उसके नीचे कोने के नज़दीक DX और FX लिखा जाता है।
5) prime lens में हम देखते है कि, वह size में काफी छोटा है। जैसे हम आंखों से देखते है, वैसे ही यह lens देखता है ऐसा कहाँ जाता है। इससे portrait photograph, straight photograph अच्छे  लिए जाते है। इसका apurture काफी कम होता है 1.8 से लेकर 1.2 उपलब्ध है। इसे sharp lens भी कहाँ जाता है, इसमे हम photo में काफी detail में काम कर सकते है। इस lens को zoom नही किया जाता, यह fixed होती है। 
                    camera को दो हिस्सों मे किया जाता है।
      ।)   DX - यह camera सस्ता होता है। इसे सामान्य लोग इस्तेमाल करते है। अगर बात करेंगे processor की तो उसकी speed कम होती है। 
     ।।)    FX - यह camera महँगा होता है। ज़्यादा तर professional लोग इसे इस्तेमाल करते है। इसका processor अच्छा है और उसकी स्पीड DX से कई गुना अच्छी है। इसमें लोग Prime lens इस्तेमाल करते है।
               हमने यह सारी चीज़ो को practically करके देखा। जिसमे मैने 55 - 300 की lens को इस्तेमाल की। यह एक maths की तरह है। जब तक आप इसे बार बार practice में नही लाते, तब तक आप एक बढ़िया फ़ोटो अपने कैमरा में नही ले सकते। और आपको एक बार यह सारी चीज़ें आने लगी तो आप एक अच्छे photographer बन जाओगे।

actuality  ( कमरे की खामोशी..... )                

                actuality  ( जगह का विवरण करना )                                                                      कमरे की खामोशी........