Saturday 20 January 2018

# वृत्तचित्र के रहस्य - दिन २ #


Actuality ( विवरण ) :-
               हम सभी बेलापुर स्टेशन पर मिले। कुछ लोग रिक्षा से निकले और कुछ चलते हुए। सर ने जो 5 वीडियो शॉट्स का टास्क दिया था बस उसमे से एक ही लेना बाकी था। सोचा चलते चलते कोई अच्छा शॉट मिलेगा इसलिए में चलते हुए आ रहा था। हम सभी वक्त से पहले पहुंचे गए और मैने मेरा टास्क भी complete किया। और तन्मय सर के कहने पर हम सभी लोग ऊपर, याने बंगले के पहले मंजिल पर पहुंचे। मेरे ख्याल से वो technical रूम है, क्योंकि लास्ट टाइम भी हमने वहां पर फोटो और वीडियो देखें। और इस बार हम सभी का blog देखा। जाएगा। क्योंकि हम मे से एक वहां ओपन करके रख था (प्रसाद कामतेकर)। वो देख कर मन मे घबराहट सी हुई कि blog मे जरूर mistake हुई होगी और सभी की class ली जाएगी।
आज हमारे बीच दो नए स्टूडेंट्स आए observation के लिए याने की वो भी हमारे टीम का एक हिस्सा थे। आने के बाद उन्होंने अपना introduction दिया और सर के जो नियम/शर्तें थी वो फिरसे दोहराई
१) समय पर आना। अगर नही आया तो workshop से बाहर।
२) mobile पूरी तरह स बंद। ( सिम कार्ड बाहर)
३) एक ने break लिया तो वो सभी का होगा।
४) सामुहिक ज़िम्मेदारियां- याने कि जो काम दिया है उसे सभी ने पूरा करना चाहिए अगर एक का भी नहीं हुआ तो बाकियों ने उसे मदत करनी चाहिए वरना वर्कशॉप का topic आगे नहीं बढ़ेगा।
५) ब्लॉग- जो कि सभी को Compulsory होगा
           तो यह सभी शर्तें फिरसे दोहराई उन नए स्टूडेंट्स के लिए।
फिर ब्लॉग जिन लोगो ने देरी स post किए थे उन्हें खड़ा किया गया  वो तीन लोग थे। सभी के अपने अपने reason थे।
एक ने कहा कि उस कुछ समझ नहीं आया, क्या लिखु?, कैसे लिखु? , दूसरे ने कहां की technical issue था, याने उसका ब्लॉग post ही नहीं हो रहा था। और तीसरे न कहा कि, वो लेट समझता है और वो सभी के blog पढ़ने के बाद ही post करना चाहता था।
फिर क्या सर न उनकी अच्छे से class ली। लेकिन हमारा समय बर्बाद हो रहा था। और हम ४ नंबर की शर्त को पूरा कर ना पाए। सर ने उन्हें और हम सभी को  भी एक मौका दिया जबकि आगे अगर ऐसा हुआ किसी से भी, तो वो बाहर जाएगा। ऐसा हम सभी ने कहा। लेकिन सर जब उन तीनों को की class ले रहे थे मतलब हम सभी की की class ले रहे थे, तभी मुझे बहुत स बाते समझ आयी जैसे कि google input, और हम blog के अंदर ही किसी भी भाषा में लिख सकते हैं। हमे एक कहानी भी बताई जो की तन्मय सर के साथ हकीकत मे हुई थी जिसमें एक well educated आदमी और एक सीधा आदमी होता है सर जब train स उतर रहे होते तो उस educated इंसान ने मदत की जबकि दूसरे ने सामान देख कर मुंह मोड़ लिया। इससे हमें जो सीख मिलनी थी वो हमें मिली। इसके अलावा कैमरा की safety रिबन जो गले मे दाली जाती हे उस safety starff कहते हैं। और सभी लोगों के blog का  title 'वृत्तचित्र के रहस्य' यह एक ही नाम रहेगा। वो इसीलिए ताकि नाम पढ़ते ही सबका ध्यान खींचा चला जाएं। और फिर मैंने film making से वृत्तचित्र रहस्य' नामकरण कर दिया। फिर हमे छोटे pad दिए वो इसलिए कि हम किसी चीज के बारे में विस्तार में लिख सके।और आगे जाकर हमारी workshop शुरू हो गई।
                 सर ने एक छोटासा task दिया कि (१०.३० से लेकर १२.४५ मिनट में)  जो कुछ कहा, जो कुछ हुआ वह सभी चीजों को १० मिनट में अपने pad मे लिखों। और सभी का लिखकर हुआ तो एक से पूछा गया और उस पर टिप्पणी हम सभी ने की।
(workshop में दो स्टूडेंट के एंट्री होने से लेकर pad देने तक)
आगे जाकर हमें एक फिल्म दिखाई, उसका नाम zoo है।
Zoo film-
यह एक black and white short film है
यह एक mind-blowing  फिल्म है। इस फिल्म को काफी नवाज़ा गया है। इस फिल्म से मालुम होता है कि, इंसान की और जानवरों की काफी छबियां एक दूसरे से मिलती जुलती है। जैसे कि चलने का ढंग, जैसे इंसान शर्माता है वैसे जानवर भी शर्माता है, जैसे इंसान उबासी लेता वैसे ही जानवर भी लेता है। जैसे कपड़ो का और जेब्रा के पट्टों का मैचिंग। ऐसे बहुत सी चीजें हैं उस फिल्म में। फिल्म देखने के लिए। Film Zoo


यह फिल्म मैने पहले भी देखी हैं, फिल्म zoo से मेरा ये निष्कर्ष निकलता है की,
इंसान और जानवर दोनों भी एक दूसरे के लिए अनजान है।
और दोनों भी एक दूसरे को पिंजरे के उस पार देख रहे थे, दोनों ही सलाखों के उस पार है।
फिर फिल्म मे जो कुछ ख़ास था उसके बारे मे चर्चा की, फिल्म की खासियत, फिल्म की वास्तविकता। इस फिल्म मे मैने सिखा की फिल्म में निरीक्षण और परीक्षण अच्छा था। याने सभी चीज़ों को जानवरों की आदतो को और इंसान की आदतों को, काफी बारकाई से दिखाया गया था। कपड़ों से लेकर उनकी हर हरकत को एक साथ मिलाया था और इसीलिए यह फिल्म आज भी उतनी ही शानदार है जितनी पहले थी। इस फिल्म में आवाज़ भी हैं लेकिन कुछ तकनीकी खराबी की वजह से हमें वो silently देखनी पड़ी।
Silently देखी तो boring सी लगी। फिर उसमे हम कुछ नया सीखें जैसे कि,
१) फिल्म वो हे जहां हम लोगोें को नई दुनिया में लेकर जातें हैं।
२) फिल्म में कुछ नया दिखाओ, कुछ अलग दीखाओ।
३) फिल्म में संग्रह सही तरीके से करो और उसे सही से जोड़ों।
         यह फिल्म एक pure Documentary film हैं। फिल्म में सारा natural शूट दिखाया गया है। फिल्म में Actual जो भी हो रहा है, उसका वर्णन किया है। फिर चर्चा हुई actuality पर। Actuality याने जो भी है,  जैसा भी है उसका वर्णन। अपने इंद्रियों से आस पास के अनुभव को महसूस करना उसे actuality कहते है। सर ने विवरण नाम के शब्द का जिक्र किया। वो शब्द मेरे लिए नया था। विवरण करना, याने किसी चीज का वर्णन करना। इसमें चीज़ों का सही तरीके से विवरण करना पड़ता है। जो भी है - जैसा भी है, positive है या negative है, अच्छा है या बुरा है। इन सभी का वर्णन करना। फिर हमने एक छोटा लंच ब्रेक लिया। लंच के बाद हमें सर ने बंगले के आंगन में इक्कठा किया। फिर हमें एक actuality का task दिया। टास्क यह था की, हमें आस पास की चीज़ों के बारे में लिखना है। अगर कोई दिखा तो उससे बिना बोले चुपचाप अपना काम करना है। हमे आधे घंटे का समय दिया। सभी को अलग अलग जगह भेजा गया। मुझे सड़क के किनारे भेज दिया और में वहा जो कुछ हो रहा था, जो कुछ महसूस कर रहा था वो सबकुछ में अपने pocket डायरी मे point to point लिख रहा था। सर वह अपना 360 camara लेकर जो स्टूडेंट जहा जहा खड़ा हे उसका रिकॉर्डिंग ले रहे थे। उसके बाद सर के बुलाने पर हम सारे इकट्ठा हुए और जो point लिखे है उनका अब वाक्य में रूपांतरण करना है। यह करने के लिए हम सभी को एक ही जगह पर भेजा गया। हम सभी लोग बंगले के सामने वाले गार्डन में गए। गार्डन में हम सारे points का विस्तार करने लगे। लिखते लिखते सर गार्डन में आए। सर ने मेरी हैंडराइटिंग देखी और उन्होंने कहा भी कि हैंडराइटिंग अच्छी है। मैने thank you कहा और सर वहा से चले गए। मैं अपना काम करने लगा। इतने में चाय आयी। हम सभी ने चाय का स्वाद चखा। चाय के साथ good day भी लाए गए जो मुझे काफी पसंद है। मैने दो biscuit खाएँ और फिरसे point को विस्तार में लिखने लगा। इतने में सर आगए, सारे लोग मुझे बोल रहे थे बस कर बस कर लेकिन सर ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराकर कहने लगे ' लिखने दो उसे, अच्छा लगता है मुझे कोई काम करें। यह सुनकर मै लिखते ही जा रहा था। लिखने के बाद हम सभी को एक circle में बैठने कहा। बिच में ट्राइपॉड रखा और अपना ३६० कैमरा चालू किया। फिर उन्होंने मेरे बगल में बैठे हुए लड़के से जो वाक्य बनाए थे, उसे पढ़ने के लिए कहा। उसने भी अच्छा लिखा था, उसने ज्यादा वास्तु पर ध्यान दिया और उसने उसका अनुभव काफी कम लिखा था। फिर मेरी बारी आई मैने भी अपने अनुभव बताया, घटित घटनाएं बताई। फिर सर ने बाकी लोग से पूछा कि दोनों में किस का अच्छा था, तो सभी ने मेरे तरफ इशारा किया। क्योंकि मैने इसमें अपने अनुभव लिखे थे, जबकि उसने वास्तु का के बारे में बताया। मेरे बाद वाले लड़के का लगभग मेरे जैसा ही था। उसने भी अपने अनुभव, देखी हुई घटनाएं बताई। फिर आगे एक एक करके सभी ने अपना विवरण ( actuality) सुनाया। एक ने तो कहा कि उसने वहां पर सांप देखा। सबका पेश करने का तरीका अलग था। जिस लड़के को (आदेश) शुरवात में ब्लॉग लेट पोस्ट करने पर डांटा था। वो लड़का पूरी तरह खुल गया। मस्ती के मूड में आया था क्योंकि उसने अपना विवरण, अपने तरीके से बताया था। फिर इस पर चर्चा की। सारें विचारों को हम जोड़ते है, तो उसमे एक value होती है। अगर बातों में value हो तो ही उसे लिखें। विवरण में ( actuality) विशेषण का कोई महत्व नहीं होता, बस जो है वैसा ही हमे दिखाना है। इसे और खूबसूरत बनाना है तो, इसमें खुद का imagination डाले, तो मानो विवरण में जादूई रस उतर जाएगा।सर ने कहा कि जो सामने हो रहा है, या फिर किसी चीज को लेकर उसकी back story बना सकते है।
                  आज भी नया मंत्र बताया देखो- चूसो- उबलो। याने कि जो दिखता है, उसे अपने अंदर समा लो फिर उसे आगे जाकर दूसरों को बताओं। विवरण सबके अलग अलग थे, लेकिन कुछ कुछ लोगों का अनुभव एक जैसा था। अगर हम दो घटनाएं एक साथ जोड़ देते है, तो कहानी और भी दमदार हो जाती है। विवरण कोई भी कर सकता है, बस आसपास के चीजों ध्यान से देखो, सुनो। अपनी इंद्रियों को खुला रखो। जमीन पर पड़े पत्थर की खामोशी भी हमे नजर आएगी। बस अपने दिमाग को खुला रखों।
सर ने और एक जगह का विवरण करने को कहा, और ब्लॉग में पोस्ट करने को कहा।
इसके अलावा 5 शोट्स, खुद की एक फिल्म बनाने को कहा। ( याने अंदर की अच्छाईयां, और बुराईयां दोनों भी बतानी है )
फिर पहले वाले ब्लॉग को थोड़ा edit करके फिरसे पोस्ट करने को कहा।
टिप-
Actuality का वर्णन जो workshop मे बताया था, वो आगे के ब्लॉग है। ( जगह का विवरण करना )

3 comments:

actuality  ( कमरे की खामोशी..... )                

                actuality  ( जगह का विवरण करना )                                                                      कमरे की खामोशी........