फिल्मों की क्लास हो गई शुरू और फ़िल्म बनाने के लिए जरूरी चीज़े क्या होती है ?, उसपर चर्चा की। फ़िल्म की process कुछ इस तरह होती है,
1) Idea
2) Story
3) Script
4) Story board
5) Budget
6) casting/ crew ( Director, Actor, etc. )
7) Make up/ Costume
8) planning
9) Shoot
10) Dubbing
11) Editing/ Music
12) Screening + Promo + Distribution
आगे जाकर हमने photograph निकालना शुरू किया। उसमे Real shot, mock shot की तस्वीर कैमरा में उतारी।
फिर पूरी टीम की खिंची हुई तस्वीरों की screening हो गई। हम सभी ने photos में अपनी गलती को ढूंढा, टिका - टिपण्णी की। class में काफी रंगीन माहौल था, हमारे साथ पहचान कौन game खेला जा रहा था। जिसमे हमें photo का A.V. ( Apurture Value ), ISO और S. S. ( Shutter Speed ) को कि setting बतानी थी। काफी मज़े से गेम को enjoy कर यह थे और उसकी settings बता रहे थे। मैने photo की setting बताई लेकिन कभी उसके नज़दीक आता तो उससे दूर । लेकिन इससे यह बात पता चली की एक proffessional photographer तस्वीर देखकर उसकी settings बात सकता है।
मैने खींची हुई एक तस्वीर, इसे macro photograph कहते है।
इसके बाद हमने एक short फ़िल्म देखी। इसमे हमे कैमरा के shots, cut कितने थे, वह देखना था।
Audiography -
फ़िल्म में Audiography काफ़ी जरूरी है। क्योंकि जिस फ़िल्म में आवाज़ नहीं उसमें मज़ा नही। dilalogue के बिना भी फ़िल्म बनती है, लेकिन वहाँ background music इस्तेमाल किया जाता है। camera में एक microphone होता है वो वीडियो के साथ आवाज़ को भी capture कर लेता है। लेकिन कैमरा का "audio recorder" quality के मामले काफी खराब होता है। इसीलिए हम फ़िल्म बनाते वक्त mikes का इस्तेमाल करते है। जिससे आवाज़ काफी smooth और clear सुनाई देतो है। ऐसे में हमने कुछ mikes के बारे मे जाना जिसमे Boom mike, lappel mike, foot mike (omnidirectional mike ) के बारे में बताया। अगर सरल भाषा मे बताए तो इसमें इनका काम बस आवाज़ को रिकॉर्ड करना। बस फर्क यही की अलग अलग situation में अलग अलग mikes इस्तेमाल किये जाते है। जैसे कि अगर हम फ़िल्म में कोई fight सीन देख रहे है तो उस वक़्त वहाँ "boom mike" इस्तेमाल होता है। award function होता है, तो वहाँ "lapel mike" इस्तेमाल होता है।
माईक के बाद आता है, sound recorder जिसमें आवाज़ को कैद किया जाता है। sound recorder में हम आवाज़ का level सेट करने के बाद उसे इस्तेमाल करते है। इसके अंदर level देखने के लिए एक "बार" भी होता है जो sound के level को दर्शाता है, इसे view meter कहते है। उसमें हम आवाज की सेंटीग भी देख सकते है। आवाज़ का लेवल -12 के पास हो तो वह परफेक्ट कहा जाता है। Input button से हम आवाज की level को सेट कर सकते है। हमें हमेशा mannual पर रखना चाहिए, क्योंकि इसमें पूरा कंट्रोल हमारे हाथ में रहता है। जैसे कि हम sound के level को वातावरण के हिसाब से control कर सकते है ( अगर हवा आ रही है, तो उसे input level से adjust करना। हवा चल रही होगी तो जो बातें कर रहा होगा उसके पास उस recorder ले जाना चाहिए। ) लेकीन हमारा sound recorder कितना भी अच्छा हो उसमे से हवा को पास होना ही होना है। हमें यहाँ पर zoom का 8 पोर्ट वाला बडा recorder दिखाया गया। हम computer में भी पोर्ट देखते है, जिसके नाम USB port, WLAN port, HDMI port वैसे ही इसमें port है। इसे XLR port कहाँ जाता है।
XLR cable & port -
फ़िल्म में Audiography काफ़ी जरूरी है। क्योंकि जिस फ़िल्म में आवाज़ नहीं उसमें मज़ा नही। dilalogue के बिना भी फ़िल्म बनती है, लेकिन वहाँ background music इस्तेमाल किया जाता है। camera में एक microphone होता है वो वीडियो के साथ आवाज़ को भी capture कर लेता है। लेकिन कैमरा का "audio recorder" quality के मामले काफी खराब होता है। इसीलिए हम फ़िल्म बनाते वक्त mikes का इस्तेमाल करते है। जिससे आवाज़ काफी smooth और clear सुनाई देतो है। ऐसे में हमने कुछ mikes के बारे मे जाना जिसमे Boom mike, lappel mike, foot mike (omnidirectional mike ) के बारे में बताया। अगर सरल भाषा मे बताए तो इसमें इनका काम बस आवाज़ को रिकॉर्ड करना। बस फर्क यही की अलग अलग situation में अलग अलग mikes इस्तेमाल किये जाते है। जैसे कि अगर हम फ़िल्म में कोई fight सीन देख रहे है तो उस वक़्त वहाँ "boom mike" इस्तेमाल होता है। award function होता है, तो वहाँ "lapel mike" इस्तेमाल होता है।
माईक के बाद आता है, sound recorder जिसमें आवाज़ को कैद किया जाता है। sound recorder में हम आवाज़ का level सेट करने के बाद उसे इस्तेमाल करते है। इसके अंदर level देखने के लिए एक "बार" भी होता है जो sound के level को दर्शाता है, इसे view meter कहते है। उसमें हम आवाज की सेंटीग भी देख सकते है। आवाज़ का लेवल -12 के पास हो तो वह परफेक्ट कहा जाता है। Input button से हम आवाज की level को सेट कर सकते है। हमें हमेशा mannual पर रखना चाहिए, क्योंकि इसमें पूरा कंट्रोल हमारे हाथ में रहता है। जैसे कि हम sound के level को वातावरण के हिसाब से control कर सकते है ( अगर हवा आ रही है, तो उसे input level से adjust करना। हवा चल रही होगी तो जो बातें कर रहा होगा उसके पास उस recorder ले जाना चाहिए। ) लेकीन हमारा sound recorder कितना भी अच्छा हो उसमे से हवा को पास होना ही होना है। हमें यहाँ पर zoom का 8 पोर्ट वाला बडा recorder दिखाया गया। हम computer में भी पोर्ट देखते है, जिसके नाम USB port, WLAN port, HDMI port वैसे ही इसमें port है। इसे XLR port कहाँ जाता है।
XLR cable & port -
XLR
Acronym Defination
XLR Extreme Luxury
Roadster ( Cadillac )
XLR External Line Return
( Audio Connection & Cable Type )
XLR Cannon X Series, Latch, Rubber ( Audio cable connector )
XLR * X Latching Resilient * Rubber Compound
( Connector type )
इसे हम चार्जिंग के साथ बॅटरी डालकर भी इस्तेमाल कर सकते है।
इसके अलावा handy recorder भी आते है ।
No comments:
Post a Comment