Monday 11 June 2018

# Session pura filmy hai -1

                     आज फ़िल्म मेकर्स का पहला दिन। कुल मिलाकर हम 20 से 22 लोग थे। जैसे हम सब बैठे थे खाली हाथ । कई नए लोग थे, तो कई पुराने। मै और मेरे कुछ साथी फ़िल्म मेकिंग से वाकिफ़ थे, तो हमे किसी बात का डर नही था। पर बाकी लोगों में वह थोड़ा बहुत दिख रहा था। हमने अपने अंदर जोश जगाने के लिए warm up किया, जिससे हम और भी फ्रेश हो गये ।
              जैसे ही सप्तर्षि सर आ गए, मानो कोई एक नई ऊर्जा के साथ। पहले से कोलकाता से आ कर काफी थके- हारे दिख रहे थे। लेकिन उन्होंने हमें ऐसा बिल्कुल महसूस होने नही दिया।
काफी मजे से हमारा Introduction हुआ, और क्लास को शुरुवात हो गयी।
          
Camera :-

             सबसे पहले हमें camera के कुछ पहलू देखें। जिसमे हमे
exposure के बारे मे बताया। इस का फंडा एकदम क्लियर है की, अगर फोटो मे बहुत ज्यादा light हो, तो हमारे फोटो मे दिखाई देने वाले object पुरी तरह से सफेद दिखे या फिर मतलब ना ही दिखे, तो वह over exposure होता है।
दुसरा ऐसा की अगर फोटो मे light बहुत ही कम हो, तो फोटो मे दिखने वाला object पुरी तरह से डार्क हो, जीसके अंदर फोटो के कूछ असली object भी खराब डार्क दिखे ऐसे मे वो lower exposure होता है।
अगर फोटो मे light और object यह दोनो चिजें अच्छे दिखाई देती है, तो उसे हम balance एक्सपोसुरे कहेंगे। याने की आपकी फोटो अच्छी है।
                 फिर आई photography की बारी।  Photography इस शब्द का जन्म कैसे हुआ यह पता चला। photo याने light और graphy याने उसका graph। आगे जाकर  3 camera के बारे मे बताया।

1) compact camera -
                  इस प्रकार के कैमरे काफ़ी पुराने होते थे। इसमें photo निकालने के लिए रोल डालना पड़ता है जो कि हमे रोल ही महंगा मिलता है। साथी में photo लेने के बाद उसे wash करने के लिए, photolab में देना पड़ता है।


                   इस प्रकार के camera' s के पीछे काफ़ी खर्च होता है। लेकिन आज भी कुछ लोग इस camera का इस्तेमाल करते है। क्योंकि उनका मानना है कि, memory वाले camera का इस्तेमाल बार बार करने से memory से धीरे धीरे picture quality कम हो जाती है। अगर हम बात करे ' रघु राय ' जी के बारें मे तो यह भारत के मशहुर photographer है । जो इस तरह का camera इस्तेमाल करते है।
उनके बारे में जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए -
http://pro.magnumphotos.com/C.aspx?VP3=CMS3&VF=MAGO31_10_VForm&ERID=24KL535PGF
            अगर सरल भाषा मे कहे तो जिस camera के lens बाहर ना आए वो इस category का camera है।
           Compact camra- दो parts होते है,
     
   1) Analog camera  2) Digital camera 

Analog में हम camera रोल ईस्तेमाल करते है। उदाहरण के लिए हम पुराना "kodak camera" देख सकते है।
Digital में हम Memory card वाले camera ईस्तेमाल करते है। इस का अच्छा उदाहरण हम "mobile camera" देख सकते है।
SLR camera - Single lance reflector
  इस camera को दो ग्रुप में देखा जाता है
  1)  ASLR   2) DSLR
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 1) ASLR -
      इस camera का उपयोग हम normal फोटोज़ खीचने के लिए करते थे। हम आज के cyber shots देखें तो यह इसी प्रकार में गिने जाते है।
  2)  DSLR camera - Digital Single lance reflector
               इस camera से आज हम सभी वाकिफ़ है। क्योंकि बड़े से लेकर छोटे तक, सभी लोगों मे इस की पहचान है।
इस camera यह फायदा है कि, इसमें हम memory card इस्तेमाल करके photo लेने के बाद हम इसे अपनी इच्छा नुसार यहां से वहां दूसरे जगह शिफ्ट कर सकते है, या उसकी copy भी बना सकते है साथ ही साथ हम उसे कंप्यूटर मे भी देख सकते है। और इसमे हम memory कार्ड के storage के हिसाब से कई सारे photo ले सकते है। लेकिन  DSLR camera, compact camera मे काफ़ि फर्क है।


              फिरसे हमने DSLR उपर focus किया। क्योंकी वह आज का trend है, और सारे professional लोग इसे ईस्तेमाल करते है। फिर focal length के उपर चर्चा। जिस lense से हम zoom adjust कर सकते है, उसे focal length कहते है।
फिर आते है, Apurture value (AV - F ), ISO , Speed shutter के पास।
         1)  AV - इसमे हम light का balance बनाकर photo ले सकते है। apurture हम जितना कम रखकर photo खिचेंगे उतनी वह balance exposure में आती है। AV जितनी ज्यादा रखेंगे उतनी वह खराब आती है।
         2) ISO यह भी एक महत्वपूर्ण भाग है। इसमे हम समझो, दिन मे 100 रखते है तो फोटो का exposure level के हिसाब से बढिया आयेगी। अगर हम दिन मे ISO को ज्यादा 5000 रखेंगे तो photo over exposure वाली बन जायेगी, जो की दिखने के लिये खराब होगी। तो हमेशा ISO को समय के हिसाब से adjust करना जरुरी है, दिन मे 100 तो रात के हिसाब से हम ज्यादा से ज्यादा रख सकते है। ISO ज्यादा रखने से एक नुकसान होता है की, फोटो अगर dark area मे खिंचने पर ISO ज्यादा होने से उसका फ़ोटो के ZOOM करने पर हमे फोटो के उपर लाल छोटे छोटे डॉट्स दिखाई देंगे, उसे हम grains कहते है। जीससे फोटो खराब आती है।
          3) shutter speed को भी काफ़ि जरुरी माना जाता है। अगर सरल भाषा मे कहे तो, एक डार्क रूम के अंदर हम shutter speed 30 sec. रखेंगे और दुसरे कॅमेरा मे shutter speed मानो 1/100 sec. रखेंगे। हम जब फोटो click करते है तो 1/100 की फोटो खिंची जाती है, तो 30 sec. थोडी देर बाद फोटो लता है। जब हम फोटो को देखते है, तो 1/100 की photo डार्क और 30 sec. मे फोटो क्लियर दिखायी देता है।
ऎसा इसलीए हुआ, क्योंकी कॅमेरा मे फोटो लेने पर 1/100 वाला कॅमेरा बाहर की पुरी light को अंदर खिंच नही पाता और 30 sec. मे camera बाहर की light को पुरी तरह अंदर खीचने के लिए समय लेता है, जिससे हमारी तसवीर डार्क रूम मे भी दिखायी देती है।
याने की simple मे कहे तो, sutter speed ज्यादा तो light कम और shutter speed कम तो light ज्यादा।
अगर हम lance पुरी तरह से घुमाकर देखे तो  AV , ISO मे  change दिखायी देता है।
अब बात करते है, lense के बारे किस lense को क्या कहेंगे।
35 mm - 8 mm :- standard lense
  8 mm - 18 mm :- ultra wide lense ( Fisheye lens )
18 mm - 34 mm :- wide lense
85 mm - 500 mm :- tele lense
  50 mm lens :-  prime lens
   
1)Standard lense ज़्यादा तर फ़िल्म मेकर्स इस्तेमाल करते है।
2)Tele lense अगर हम क्रिकेट देखते है, तो वहाँ tele lense इस्तेमाल किया जाता है।
3) ultra wide ज़्यादा तर Advt. मे इस्तेमाल होता है। जैसे की hotel की lobby।
4) wide lense हमारे normal camera मे आती है।
अब आते है, फिरसे DSLR पर । camera की lens को जहा बिठाया जाता है। वहाँ पर हम ठीक उसके नीचे कोने के नज़दीक DX और FX लिखा जाता है।
5) prime lens में हम देखते है कि, वह size में काफी छोटा है। जैसे हम आंखों से देखते है, वैसे ही यह lens देखता है ऐसा कहाँ जाता है। इससे portrait photograph, straight photograph अच्छे  लिए जाते है। इसका apurture काफी कम होता है 1.8 से लेकर 1.2 उपलब्ध है। इसे sharp lens भी कहाँ जाता है, इसमे हम photo में काफी detail में काम कर सकते है। इस lens को zoom नही किया जाता, यह fixed होती है। 
                    camera को दो हिस्सों मे किया जाता है।
      ।)   DX - यह camera सस्ता होता है। इसे सामान्य लोग इस्तेमाल करते है। अगर बात करेंगे processor की तो उसकी speed कम होती है। 
     ।।)    FX - यह camera महँगा होता है। ज़्यादा तर professional लोग इसे इस्तेमाल करते है। इसका processor अच्छा है और उसकी स्पीड DX से कई गुना अच्छी है। इसमें लोग Prime lens इस्तेमाल करते है।
               हमने यह सारी चीज़ो को practically करके देखा। जिसमे मैने 55 - 300 की lens को इस्तेमाल की। यह एक maths की तरह है। जब तक आप इसे बार बार practice में नही लाते, तब तक आप एक बढ़िया फ़ोटो अपने कैमरा में नही ले सकते। और आपको एक बार यह सारी चीज़ें आने लगी तो आप एक अच्छे photographer बन जाओगे।

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