आज सत्र में हम ने बातें की कुछ रघु राय जी के photograph के बारे मे। जिसमे हर एक तस्वीर अपनी कहानी बताती है। अच्छा फ़ोटो वही जो अपनी कहानी बताए। बात करें फ़ोटो की,
यदि हम फ़ोटो देखे तो, दो वह तरह के होते है।
Horizantal और Vertical
उसके बाद आये हम film making के सत्र पर, जिसमे मैने जाना,
screen play, real photograph और mock photograph, 3 point lighting, Rule of third, camera shots/ Angal और आखिर में shutter speed
यदि हम फ़ोटो देखे तो, दो वह तरह के होते है।
Horizantal और Vertical
उसके बाद आये हम film making के सत्र पर, जिसमे मैने जाना,
screen play, real photograph और mock photograph, 3 point lighting, Rule of third, camera shots/ Angal और आखिर में shutter speed
1) Screen play -
Screen play यह पार्ट film making का महत्वपूर्ण हिस्सा है। screen play लिखने के लिए कहानी जरूरी होती है।
Fade in -
fade in the देखते है, याने जब फ़िल्म की शुरवात black screen से white screen या कोई footage आने तक के वक्त को हम fade इन कह सकते है।
sub heading
इस पार्ट को 3 हिस्सो में किया जाता
External ( EXT ) + writter store + day
Screen play यह पार्ट film making का महत्वपूर्ण हिस्सा है। screen play लिखने के लिए कहानी जरूरी होती है।
Fade in -
fade in the देखते है, याने जब फ़िल्म की शुरवात black screen से white screen या कोई footage आने तक के वक्त को हम fade इन कह सकते है।
sub heading
इस पार्ट को 3 हिस्सो में किया जाता
External ( EXT ) + writter store + day
External याने बाहर scene shoot करे, तो उसकी गणना वहां की जाती है। उदाहरण के लिए हम जंगल, रास्ते आदि.
Writter store मे हम वहाँ की location के बारे मे लिखे जहाँ हम scene shoot करने वाले है।
Day में हम scene shoot कौन से समय मे करने वाले है, वह देखा जाता है।
अगर हम घर के अंदर, बिल्डिंग के अंदर scene shoot करे तो हम उसे Internal ( INT ) कहते है।
आगे जाकर किरदार, फिर उसके बारे मे जानकारी, उसके dialogue यह सबकुछ आता है।
एक proffessional screen play देखे तो इस फोटो में हम detail में देख सकते है।
Writter store मे हम वहाँ की location के बारे मे लिखे जहाँ हम scene shoot करने वाले है।
Day में हम scene shoot कौन से समय मे करने वाले है, वह देखा जाता है।
अगर हम घर के अंदर, बिल्डिंग के अंदर scene shoot करे तो हम उसे Internal ( INT ) कहते है।
आगे जाकर किरदार, फिर उसके बारे मे जानकारी, उसके dialogue यह सबकुछ आता है।
एक proffessional screen play देखे तो इस फोटो में हम detail में देख सकते है।
2) Type of photograph -
√ Real shot ( photograph )
√ Mock shot ( photograph )
√ Real shot ( photograph )
√ Mock shot ( photograph )
Real shot में हम किसी चीज़ की तस्वीर को "on the spot" खिंचते है। जैसी भी situation हो उसे हम वहां होने वाली घटना को camera में कैद कर लेते है। उदाहरण के लिए हम किसी शेर की photo देख सकते है।
Mock shot में किसी चीज़ को सही से लागकर, उसे अच्छे से set करते है और फिर उसकी तस्वीर को खींचते है। उदाहरण के लिए हम शादी के फोटोज़ देख सकते है।
Mock shot में किसी चीज़ को सही से लागकर, उसे अच्छे से set करते है और फिर उसकी तस्वीर को खींचते है। उदाहरण के लिए हम शादी के फोटोज़ देख सकते है।
3) Three point lighting -
Three point lighting याने की तीन lights को अलग अलग composition में रखकर photo खिंचा जाता है। इसमे 3 light को, एक fixed किये हुए पॉइंट पर रख जाता है, इसीलिए उसे Three point lighting कहते है।
key light/ Main light-
इस light को object के बिल्कुल करीब रखा जाता है। इसका उजाला काफी तेज होता है। अगर हम किसी व्यक्ति का फ़ोटो लेते । यह बिल्कुल उसके थोड़ा नज़दीक रखा जाता है। इसे हम main light भी बोलते है।
Feel light -
Key light का focus जहाँ होता है वहाँ पर लाइट ज्यादा होती है, बजाय उसके जो side मे नही होती । वह उसका तेज कम रहता है। इसलिए इस कि कमी को पुरा करने के लिए इस light का इस्तेमाल किया जाता है। यह light का अंतर key light से ज्यादा होता है । इसका तेज कम होता है, जिससे सामने वाला व्यक्ति इसे feel करता है। इसीलिए इसे feel light कहते है।
Back light -
इस light को object के पीछे रखकर फ़ोटो लिया जाता है। इसका यह फायदा की यह बाकी 2 light के प्रकाश को cover up करने की कोशिश करता है।
इस वीडियो मे इसका पूरा विस्तार किया गया है।
Three point lighting याने की तीन lights को अलग अलग composition में रखकर photo खिंचा जाता है। इसमे 3 light को, एक fixed किये हुए पॉइंट पर रख जाता है, इसीलिए उसे Three point lighting कहते है।
key light/ Main light-
इस light को object के बिल्कुल करीब रखा जाता है। इसका उजाला काफी तेज होता है। अगर हम किसी व्यक्ति का फ़ोटो लेते । यह बिल्कुल उसके थोड़ा नज़दीक रखा जाता है। इसे हम main light भी बोलते है।
Feel light -
Key light का focus जहाँ होता है वहाँ पर लाइट ज्यादा होती है, बजाय उसके जो side मे नही होती । वह उसका तेज कम रहता है। इसलिए इस कि कमी को पुरा करने के लिए इस light का इस्तेमाल किया जाता है। यह light का अंतर key light से ज्यादा होता है । इसका तेज कम होता है, जिससे सामने वाला व्यक्ति इसे feel करता है। इसीलिए इसे feel light कहते है।
Back light -
इस light को object के पीछे रखकर फ़ोटो लिया जाता है। इसका यह फायदा की यह बाकी 2 light के प्रकाश को cover up करने की कोशिश करता है।
इस वीडियो मे इसका पूरा विस्तार किया गया है।
4) Rule of thirds -
इस विडिओ मे अच्छे से समझ पाएंगे।
इस विडिओ मे अच्छे से समझ पाएंगे।
5) Camera shots/ Angles -
√ Wide Shot
√ Full Shot
√ Mid Shot
√ Medium Close Up
√ Close Up # 1
√ Close Up # 2
√ Extreme Close Up
√ Dutch Angle
√ Low Angle
√ Low Angle # 2
√ High Angle
√ Pan
√ Cut In
√ Over The head
√ Dolly Zoom
√ Over The Shoulder ( OS )
√ Over The Shoulder ( OS ) # 2
√ Over The Shoulder ( OS ) # 3
√ Medium Two Shot
√ Medium Two Shot # 2
अगर हम इस वीडियो को देखते है, तो समझने में ज्यादा आसानी होगी।
√ Wide Shot
√ Full Shot
√ Mid Shot
√ Medium Close Up
√ Close Up # 1
√ Close Up # 2
√ Extreme Close Up
√ Dutch Angle
√ Low Angle
√ Low Angle # 2
√ High Angle
√ Pan
√ Cut In
√ Over The head
√ Dolly Zoom
√ Over The Shoulder ( OS )
√ Over The Shoulder ( OS ) # 2
√ Over The Shoulder ( OS ) # 3
√ Medium Two Shot
√ Medium Two Shot # 2
अगर हम इस वीडियो को देखते है, तो समझने में ज्यादा आसानी होगी।
Camera Shots/ Angle :
6) Shutter speed -
यहाँ पर में Shutter speed का अनुभव शेयर करूंगा। मैने shutter speed को 5 पर रखकर Iso को कम रखे हुए और AV को 20 रखा था। यहाँ पर camera मैने 55 - 300 की lens को इस्तेमाल किया था । फिर कमरे में पूरा अंधेरा किया और मैने अपने एक दोस्त को mobile फ्लैश लाईट के फूलझड़ी की तरह घूमाने कहाँ। और जब फ़ोटो मैने खींचा तो अलग ही नजारा था। फ़ोटो डार्क था लेकिन उसमें जो फ़्लैश लाइट थी, वह पूरी तरह से गोल आयी। जैसे एक फूलझड़ी अंधेरे में जलाने पर दिखती है वैसे दिखाई दे रहा था।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि shutter speed कम था।
यहाँ पर में Shutter speed का अनुभव शेयर करूंगा। मैने shutter speed को 5 पर रखकर Iso को कम रखे हुए और AV को 20 रखा था। यहाँ पर camera मैने 55 - 300 की lens को इस्तेमाल किया था । फिर कमरे में पूरा अंधेरा किया और मैने अपने एक दोस्त को mobile फ्लैश लाईट के फूलझड़ी की तरह घूमाने कहाँ। और जब फ़ोटो मैने खींचा तो अलग ही नजारा था। फ़ोटो डार्क था लेकिन उसमें जो फ़्लैश लाइट थी, वह पूरी तरह से गोल आयी। जैसे एक फूलझड़ी अंधेरे में जलाने पर दिखती है वैसे दिखाई दे रहा था।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि shutter speed कम था।
अब इसी चीज़ को मैने उल्टा किया। shutter speed को गाड़ी के speed के हिसाब से सेट किया। जैसे कि गाड़ी चल रही थी 40 कि speed से तो मैने उसे भी 1/40 से सेट किया। उसकी settings कुछ इस तरह थी। अगर हम फ़ोटो ले रहे है, तो
इस प्रकार आप camera में फ़ोटो ले सकते है, और उसमें जो बेस्ट होगी आप उसे रख सकते है।
अगर Video निकलना है तो,
Settings + Movie setting + Frame rate 25 ( per sec.) 1920 x 1080
तो इस तरह आप video और photo निकाल सकते है।
तो इस तरह आप video और photo निकाल सकते है।
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