Recorder-
जब भी हम कोई मधुर सी धुन सुनते है। तो कई बार ऐसा लगता है, की इसे हम करे। ताकि जब भी हमारा मन हो हम इसे बार बार सुने। और ऐसे वक्त रेकॉर्डर काम में आता है। रेकॉर्डर तो फोन मे भी होता है। लेकिन हम जब भी कीसी गायक ने गाया हुआ गीत सुनते है, वो गायक भले ही दुर हो लेकिन हम उसे घर बैठकर MP3 प्लेयर से सुन सकते है। यह सब कुछ रेकॉर्डेर से possible हुआ है।
रेकॉर्डर से हम कई गुना ज्यादा अच्छी कर सकते है। मैने भी रेकॉर्डेर का उपयोग किया। उसका नाम है, zoom handy recorder। जब मैने उसे इस्तेमाल किया तो मोबाइल फोन से की गई रेकॉर्डिंग में और रेकॉर्डर से की गई रेकॉर्डिंग में काफी फर्क था। याने की, रेकॉडर से, रेकॉर्ड की गई आवज़ साफ़ सुथरी थी और अच्छी थी। रेकॉर्डर में आवज़ का इनपुट लेवल दिया गया है। जिससे हम आवाज़ को अच्छेसे रेकॉर्ड कर पाएंगे। उसका इस्तेमाल जब भी हम किसी का interview ले रहे हो या फिर किसी चीज़ की आवाज़ को रेकॉर्ड कर रहे हो तो उसके अंतर के हिसाब से रिकॉर्ड करते है। रेकॉर्डर के display पर आवाज़ का इनपुट बताया जाता है, उसे view meter कहते है। आवाज़ का लेवल हमेशा मायनस 12 (- 12) के निचे और मायनस 24 (-24 ) के निचे रखना। यह आवाज़ का सबसे अच्छा लेवल है। -12 के ऊपर जाता है, तो आवाज़ स्तर बढ़ जाता है। और -24 के निचे जाए तो आवाज़ काफी स्तर निचे जाता है। मतलब की आवाज़ को हमेशा मीडियम लेवल पर रेकॉर्ड करें।
जब रेकॉर्डर से में आसपास की होने वाली चीज़ों को रेकॉर्ड कर रहा था। रेकॉर्डर की पकड़ मानो कोई tv के रिमोट जैसी है। रिकॉर्डर को mannual किया और इनपुट लेवल को एडजस्ट करते हुए मैने रिकॉर्डिंग करना शुरू किया। चिड़ियों का चहकना, गाडी की आवाज़, ट्रेन का सफ़र, और बारात का बैंड बाजा आदि बहुत से चीज़ों का रेकॉर्डिंग किया। ट्रेन से सफ़र करते वक्त तो ज्यादा ध्यान देना पडा। खिडकी से थोडा पास बैठने कि वजह से हवा कि गती को कंट्रोल करना ( याने कि माईक्स के ऊपर अपना हाथ रखा था) कोई ट्रेन गुजरी तो झटसे इनपुट लेवल को balance करना।
ऐसे मे हमे काफी ध्यान से उसे इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकी उसकी बनावट काफी नाजूक होती है। तो यह था, मेरा अनुभव रेकॉर्डर के साथ।
Friday 16 February 2018
Recorder-
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